जीवन रूपी शांत सफर के राहों में.
एक दिन तुम मुझे यूँ मिल गयी,
जैसे फूलों को खुशबू, चाँद को चांदनी
मुझको मेरी कल्पना मिल गयी|
बहुत ढूंढा किया था,मैने तुझको अपने ख्वाबो में,
अचानक ही तू मेरे जीवन में बस गयी|
मुझे कुछ यूँ हुई अनुभूति तुम्हारे मिलन की..
जैसे मुझे समंदर में मोती वाली सीप,मिल गयी|
सोचा था बहुत कुछ कहना है तुझसे मिलने पर,
तुझे देखकर शब्दों की कमीं पड़ गयी..
अब तो तेरी आँखों को मैने आइना बना लिया,
शायद उसमे मुझे मेरी झलक मिल गयी|
अचानक ही तू मेरे जीवन में बस गयी|
मुझे कुछ यूँ हुई अनुभूति तुम्हारे मिलन की..
जैसे मुझे समंदर में मोती वाली सीप,मिल गयी|
सोचा था बहुत कुछ कहना है तुझसे मिलने पर,
तुझे देखकर शब्दों की कमीं पड़ गयी..
अब तो तेरी आँखों को मैने आइना बना लिया,
शायद उसमे मुझे मेरी झलक मिल गयी|
very nice
जवाब देंहटाएंvery nice
जवाब देंहटाएंवाह वाह ..
जवाब देंहटाएंसमग्र गत्यात्मक ज्योतिष
मन के भावो को शब्द दे दिए आपने......
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएं**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**
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♥प्रिय भाई आशुतोष तिवारी जी♥
सस्नेह अभिवादन !
*जन्मदिन की हार्दिक बधाई !*
**हार्दिक शुभकामनाएं !**
***मंगलकामनाएं !***
राजेन्द्र स्वर्णकार
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जवाब देंहटाएंसुंदर रचना के लिए भी बधाई !
खरगोश का संगीत राग रागेश्री पर आधारित है जो कि खमाज थाट का सांध्यकालीन राग है, स्वरों में कोमल निशाद और बाकी स्वर शुद्ध लगते
जवाब देंहटाएंहैं, पंचम इसमें वर्जित है,
पर हमने इसमें अंत में पंचम का प्रयोग भी किया है, जिससे इसमें राग बागेश्री भी झलकता
है...
हमारी फिल्म का संगीत वेद नायेर ने दिया है.
.. वेद जी को अपने संगीत कि प्रेरणा जंगल में चिड़ियों कि चहचाहट से मिलती है.
..
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