रविवार, 3 अक्तूबर 2010
अयोध्या का सेकुलर कवि और रामभक्त
पिछला १ हफ्ता काफी वयस्त रहा.. मगर मन राम मंदिर के निर्णय पर लगा हुआ था जैसा की हर हिन्दुस्तानी का था...कुछ सेकुलर लोग और खबरिया चैनल बार बार कहते रहे की अयोध्या मुद्दा ख़तम हो चुका है... अरे भाई अगर ख़तम हो चुका है तो ये अपना समाचार का भोपू बंद करो और कुछ और दिखाओ...
सच ये है की राम हमारे अन्दर ही विराजमान है और उस सत्ता को ख़तम करना इन तुस्टीकरण के पुजारियों और मैकाले के अनुयायियों के बस की बात नहीं...
फिर भी एक बार मैने भी सेकुलर बनने की कोशिश कर ही डाली...आज का तथाकथित सेकुलर (या आप उसे हिन्दू विरोधी कह लें............
काफी दिनों से अयोध्या पर कुछ लिखने की सोच रहा था सोचा सेकुलरिज्म के रंग मे लिख डालू कुछ राम पर.... लेकिन कुछ पंक्तियाँ लिखने के बाद मेरे अन्दर का राम भक्त बार बार मुझे उद्वेलित करता था.... वह मुझे याद
दिलाता था बाबर और औरन्जेब के अत्याचारों का... वह मुझे याद दिलाता था रानी पद्मिनी के जौहर से लेकर कश्मीरी पंडितों की व्यथा कथा... इसी द्वन्द के बिच लिखी है मैंने ये कविता.....
कश्मीर से अयोध्या तक
बस संगीनों का साया है
हे राम तुम्हारी नगरी में,
कैसा सन्नाटा छाया है...
ऐसी तो अयोध्या न थी कभी,
जहा मानवता की चिता जले..
इस मर्यादा की नगरी में,
सब खुद की मर्यादा भूले
हे राम तुम्हारी सृष्टी में
हैं कोटि कोटि गृह बसे हुए..
इस गर्भ गृह की रक्षा में,
आखिर अब कितनी बलि चढ़े...
इन लाशों के अम्बारों पर
बाबर और बाबरी बसतें हैं...
यहाँ हनुमान हैं कई खड़े...
जो राम ह्रदय में रखतें हैं...
इन विघ्नों के आवर्तों से
हम नहीं कभी अब तक हैं डरे...
हमने दधिची को पूजा है,
जो वज्र ह्रदय में रखतें हैं..
इस राम कृष्ण की धरती पर
हम भगवा ध्वज लहरायेंगे
ये हिन्दू धर्मं सनातन है
हम हिन्दू धर्म निभायेंगें
आहुति अब पूरी होगी
हम अश्वमेध को लायेंगे
जो जन्म भूमि है राम की...
वहां राम ही पूजे जायेंगे..
एक नहीं दो बार नहीं हर बार यही दोहरायेंगे
सौगंध राम की खाते हैं,हम मंदिर वहीँ बनायेंगे...
सौगंध राम की खाते हैं,हम मंदिर वहीँ बनायेंगे...
"आशुतोष नाथ तिवारी"
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aakhi akrosh bahar aa hi gaya han.....???
जवाब देंहटाएंSalute to you Sir for your steel mentality for Hindutva !
जवाब देंहटाएंMusalmaanon ka astitva khatre mein pad jaayega, agar SHRI RAM par aanch aayi...!
JAI SHRI RAM.