अभी कुछ और करना है, इरादे रोज करता हूँ..
इसी ख्वाहिश में जीता हूँ इसी ख्वाहिश में मरता हूँ |
सितारों की चमक में खो गयी है चंद तस्वीरे..
इन्ही धुंधले हुए ख्वाबो में, अब भी रंग भरता हूँ |
मेरे ख्वाबो की तन्हाई, तुम्हे मेरे पास ले आई..
मै अपने दिल से जीता हूँ, मै तेरे मन का दिखता हूँ |
तेरे हालत को समझूँ या खुद के दिल को समझाऊं..
तेरे मुझको न खोने की, इसी ख्वाहिश से डरता हूँ|
जवाजे-इश्क की कतरन को ले कर अभी बैठा हूँ..
ये कैसी हर्फे-गुरबत है, मै तेरा नाम लिखता हूँ |
ये कश्ती डूब भी जाए, मै मंजिल पा ही जाऊंगा..
मेरा हासिल ही तूफा है,मै खुद की राह चुनता हूँ |
अभी कुछ और करना है, इरादे रोज करता हूँ..
इसी ख्वाहिश में जीता हूँ,इसी ख्वाहिश मे मरता हूँ |
जवाजे-इश्क : justification of love
हर्फे-गुरबत: poverty of words
bhut khubsurat khwaish hai... aur bhut hi pyari rachna...
जवाब देंहटाएंये कश्ती डूब भी जाए, मै मंजिल पा ही जाऊंगा..
जवाब देंहटाएंमेरा हासिल ही तूफा है,मै खुद की राह चुनता हूँ |
बहुत सुन्दर गज़ल..हरेक शेर एक सुन्दर ख्वाब..
अभी कुछ और करना है, इरादे रोज करता हूँ..
जवाब देंहटाएंइसी ख्वाहिश में जीता हूँ,इसी ख्वाहिश मे मरता हूँ |
बहुत खूब....
आपकी कोशिश को यक़ीनन एक अच्छी कोशिश कहा जाएगा।
जवाब देंहटाएंउर्दू के भारी-भरकम अल्फ़ाज़ का इस्तेमाल भी आपने सही किया है।
शुरूआत में इतना बहुत है। वक्त गुज़रेगा तो पूर्णता और दक्षता सब कुछ आ जाएगी।
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/05/dr-anwer-jamal.html
nice
जवाब देंहटाएं/सितारों की चमक में खो गयी है चंद तस्वीरे..
जवाब देंहटाएंइन्ही धुंधले हुए ख्वाबो में, अब भी रंग भरता हूँ |/
खूबसूरत ख़याल. दाद कबूल करें.
ये कश्ती डूब भी जाए, मै मंजिल पा ही जाऊंगा..
जवाब देंहटाएंमेरा हासिल ही तूफा है,मै खुद की राह चुनता हूँ |
prerak bhavabhivyakti.badhai.
अभी कुछ और करना है, इरादे रोज करता हूँ..
जवाब देंहटाएंइसी ख्वाहिश में जीता हूँ इसी ख्वाहिश में मरता हूँ ..
Excellent !
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बहुत खूब लिखा है आशुतोष भाई.
जवाब देंहटाएंये कश्ती डूब भी जाए, मै मंजिल पा ही जाऊंगा..
मेरा हासिल ही तूफा है,मैं लहरों पे ही चलता हूँ
ये कश्ती डूब भी जाए, मै मंजिल पा ही जाऊंगा..
जवाब देंहटाएंमेरा हासिल ही तूफा है,मै खुद की राह चुनता हूँ |
अभी कुछ और करना है, इरादे रोज करता हूँ..
इसी ख्वाहिश में जीता हूँ,इसी ख्वाहिश मे मरता हूँ |
बेहतरीन शब्द सामर्थ्य युक्त इस रचना के लिए आभार !!
हम होंगे कामयाब एक दिन मन में है विश्वास पूरा है विश्वास हम होंगे कामयाब एक दिन!!
देखकर बाधा विवध, बहु विघ्न घबराते नहीं। 'कर्मवीर' मनुष्य की यही पहचान है।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लगा पढ़कर....
जवाब देंहटाएंअभी कुछ और करना है, इरादे रोज करता हूँ..
इसी ख्वाहिश में जीता हूँ,इसी ख्वाहिश मे मरता हूँ |
बहुत सुन्दर गज़ल..हरेक शेर एक सुन्दर ख्वाब..
जवाब देंहटाएंkya baat hai bhai
जवाब देंहटाएंआपकी ख्वाहिशों को सलाम
जवाब देंहटाएंआमीन
बहुत ठीक कहा है आपने, ख्वाहिश
जवाब देंहटाएंवाह आशुतोष...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन शब्द सामर्थ्य युक्त इस रचना के लिए आभार|
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गज़ल,
जवाब देंहटाएंवाह - विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
अभी कुछ और करना है इरादे रोज़ करता हूँ ,
जवाब देंहटाएंतेरे ख्वाबो मेन जीता हूँ तेरे ख़्वाबों में मरता हूँ .बहुत सुन्दर प्रस्तुति .
लाजवाब ग़ज़ल, उर्दू पर भी अच्छी पकड़ तथा उन्हें सम्प्रेश्नीय बनाने की क्षमता तो वाकई सराहनीय है. प्रत्येक शेर का अपना अंदाज़ निराला है. बधाई..
जवाब देंहटाएंये अनवर जमाल यहाँ कहाँ से आ गया मरदूद ! लाहौल विला कुवत ! खुद तो शायरी जानता नहीं और सलाह देता है
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया शायरी है भाईजान ! इसके चक्कर में मत पढ़ना खुद तो डूबेगा ही साथ में आप को भी ले डूबेगा !
अभी कुछ और करना है, इरादे रोज करता हूँ..
जवाब देंहटाएंइसी ख्वाहिश में जीता हूँ,इसी ख्वाहिश मे मरता हूँ |
खुबसूरत शेर दाद को मोहताज नहीं फिर भी दिल ने कहा वाह वाह
वन्दे मातरम आशुतोष जी,
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गज़ल..हरेक शेर लाजवाब सुन्दर
प्रिय आशुतोष जी खूब बनी -गुल खिलते रहिये शुभ कामनाएं बढ़ते रहिये
जवाब देंहटाएंभ्रमर ५
अभी कुछ और करना है, इरादे रोज करता हूँ..
इसी ख्वाहिश में जीता हूँ,इसी ख्वाहिश मे मरता हूँ |