मैं कौन हूँ???
छोटा आदमी या बड़ा आदमी
छोटा आदमी,
जोड़ता है इंटों को
बनाता है ऊँची इमारतें
होटल और महंगे आशियाने
बड़े आदमी के लिये..
बड़ा आदमी,
चलाता है बुलडोजर,
छोटे आदमी के आशियाने पर,
चलाता है कार, छोटे आदमी के ऊपर ..
चलता है गोलियां,रोटी मांगते इंसानों पर...
कुछ देता भी है बड़ा आदमी,
चंद सिक्के मे तुली गयी...
जिन्दगी एक मजदूर की,
" मुआवजा"
छोटी सुई और बड़ी तलवार..
दोनों की,सदियों से यही कहानी होती है,
तलवार बड़ी हो कर भी तोडती है,
सुई छोटी हो के भी दो बिछड़ों को जोडती है...
मैं कौन हूँ???
छोटा आदमी या बड़ा आदमी
आदमी ही आदमी का शोषण करता है...
जवाब देंहटाएंभाई एक नयी ही फिलोसफी पैदा कर दी....
जवाब देंहटाएंबहुत खूब.
छोटा आदमी,
जवाब देंहटाएंजोड़ता है इंटों को
बनाता है ऊँची इमारतें
होटल और महंगे आशियाने
बड़े आदमी के लिये..
बहुत बढ़िया.....
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
निश्चित रूप रूप से आदमी छोटा नही है .....................आपकी भावनाओ को मै सलाम करता हूँ |
जवाब देंहटाएंवाह-वाह!
जवाब देंहटाएंक्या बात कह दी .. ज़िन्दगी में हमें सूई बनना चाहिए, कैंची या तलवार नहीं।
" मैं कौन हूँ???
जवाब देंहटाएंछोटा आदमी या बड़ा आदमी"
आप से अच्छा लिखने की प्रेरणा मिलती है बहुत सुंदर!
उपरोक्त बिंदुओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए....
मेरी हार्दिक शुभ कामनाएं आपके साथ हैं !!
Nice post.
जवाब देंहटाएंप्यारे भाई ! आप ज्ञान की तलाश में हैं, एक दिन मंज़िल पर भी पहुंचेगे।
आपका स्वागत है हमारे दिल की दुनिया में हर दरवाज़े से।
Please see
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/11/father-manu-anwer-jamal_25.html
http://pyarimaan.blogspot.com/
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2010/12/islam-is-sanatan-by-anwer-jamal.html
आ ग़ैरियत के पर्दे इक बार फिर उठा दें
बिछड़ों को फिर मिला दें, नक्शे दूई मिटा दें
सूनी पड़ी है मुद्दत से दिल की बस्ती
आ इक नया शिवाला इस देस में बना दें
दुनिया के तीरथों से ऊंचा हो अपना तीरथ
दामाने आसमां से इसका कलस मिला दें
हर सुब्ह उठके गाएं मन्तर वो मीठे मीठे
सारे पुजारियों को ‘मै‘ पीत की पिला दें
शक्ति भी शांति भी भक्तों के गीत में है
धरती के बासियों की मुक्ति प्रीत में है
छोटी सुई और बड़ी तलवार..
जवाब देंहटाएंदोनों की,सदियों से यही कहानी होती है,
तलवार बड़ी हो कर भी तोडती है,
सुई छोटी हो के भी दो बिछड़ों को जोडती है...
jawab nahi......
jai baba banaras...............
ज़िन्दगी में हमें सूई बनना चाहिए, कैंची या तलवार नहीं। बहुत बढ़िया|
जवाब देंहटाएंछोटी सुई और बड़ी तलवार..
जवाब देंहटाएंदोनों की,सदियों से यही कहानी होती है,
तलवार बड़ी हो कर भी तोडती है,
सुई छोटी हो के भी दो बिछड़ों को जोडती है..
Very impressive.
.
कैसी विडंबना है...
जवाब देंहटाएंतलवार बड़ी हो कर भी तोडती है,
सुई छोटी हो के भी दो बिछड़ों को जोडती है..
-तब छोटे ही बेहतर!!!
बेहतरीन!!!
जवाब देंहटाएंbahut sunder kaha aapne
जवाब देंहटाएंsui jodti hai
talwaar to todti hi hai
aap kalam se dilon ko jodte rahen..
बहुत खूब और सच्चा लिखा है.......पढ़ कर अच्छा लगा आपका ब्लॉग ! ! !
जवाब देंहटाएंBeautiful as always.
जवाब देंहटाएंIt is pleasure reading your poems.
bahut sunadr bhai salam karta hu aapki lekhani ko.
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