अभी कुछ और करना है, इरादे रोज करता हूँ..
इसी ख्वाहिश में जीता हूँ इसी ख्वाहिश में मरता हूँ |
सितारों की चमक में खो गयी है चंद तस्वीरे..
इन्ही धुंधले हुए ख्वाबो में, अब भी रंग भरता हूँ |
मेरे ख्वाबो की तन्हाई, तुम्हे मेरे पास ले आई..
मै अपने दिल से जीता हूँ, मै तेरे मन का दिखता हूँ |
तेरे हालत को समझूँ या खुद के दिल को समझाऊं..
तेरे मुझको न खोने की, इसी ख्वाहिश से डरता हूँ|
जवाजे-इश्क की कतरन को ले कर अभी बैठा हूँ..
ये कैसी हर्फे-गुरबत है, मै तेरा नाम लिखता हूँ |
ये कश्ती डूब भी जाए, मै मंजिल पा ही जाऊंगा..
मेरा हासिल ही तूफा है,मै खुद की राह चुनता हूँ |
अभी कुछ और करना है, इरादे रोज करता हूँ..
इसी ख्वाहिश में जीता हूँ,इसी ख्वाहिश मे मरता हूँ |
जवाजे-इश्क : justification of love
हर्फे-गुरबत: poverty of words