मन क्यों उदास है??
शायद इसे किसी की तलाश है!
ये जानता है वो है इससे बहुत दूर,
फिर भी ढूंढता उसे अपने आस पास है|
मन क्यों उदास है???
शायद इसे किसी की तलाश है!
ये जानता है वो है इससे बहुत दूर,
फिर भी ढूंढता उसे अपने आस पास है|
मन क्यों उदास है???
शायद ये तलाश मे है उस परछाई के….
जिसे इसके आस्तित्व पर ही अविश्वाश है|
शायद इसे अपनी मुट्ठी मे ,
सूखी रेत को बंद करने की आस है|
मन क्यों उदास है????
वो कही नहीं है,
आशु भाई - एक फिल्म थी श्याद ६० के दशक की - नवरंग - श्याम-श्वेत - नायक महिपाल(?) देख लेना कभी मौका मिले तो.
जवाब देंहटाएंप्राची (नायिका) का जवाब मिल जाएगा.
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंशायद इसे अपनी मुट्ठी मे ,
जवाब देंहटाएंसूखी रेत को बंद करने की आस है|
मन क्यों उदास है ...
रेत को मुट्ठी में बंद करने की ख्वाहिश उदासी ही दे जाती है अक्सर ...
बहुत खूब लिखा है ...
आपको नए साल की मुबारकबाद ...
Baba ki Prachi Baba ke ghar main hai....
जवाब देंहटाएंham sab sanjte hai....
jai baba banaras..............
हुम ...मन की उदासी का कोई निवारण नहीं. तुम्हीं ने दर्द दिया है तुम्हीं दवा देना.
जवाब देंहटाएंbahut khoob...
जवाब देंहटाएंमन का क्या ये तो चंचल होता है.......
जवाब देंहटाएंसुंदर अहसास।
गहरे भाव.....
बेहतरीन अभिवयक्ति.....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुती बेहतरीन रचना,.....
जवाब देंहटाएंनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाए..
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मन ने बहुत नचाया सबको, दिल ने बहुत सताया है.
जवाब देंहटाएंढूंढ -ढूंढ के हुए दीवाने ,किन्तु नहीं अब तक पाया है.
ढूँढा जब उसे अपने अन्दर, मन मंदिर में बैठा पाया है.
प्राची हो सकती विलग कैसे? खोजो उसे जहां गवांया है.
सुंदर गहरे बेहतरीन भाव.....
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाए..
सहज सरल अभिव्यक्ति दिल से .नव वर्ष मुबारक .
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