गुरुवार, 10 नवंबर 2011

मैं हिन्दुस्थान का हिन्दू हूँ,मैं आतंकी हूँ

मैं हिन्दुस्थान का हिन्दू हूँ,मैं आतंकी हूँ                    
मैं  सर्व धर्म समभाव सिखाता ..
मानवता की बात बताता,
हर धर्मस्थल पर शीश नवाता,आतंकी हूँ...
मैं हिन्दुस्थान का हिन्दू हूँ,मैं आतंकी हूँ...
वो धरा गोधरा की हो या,
वो जनमभूमि हो राम की. 
हो मथुरा काशी की धरती,
या सोमनाथ के धाम की..
हर बार में अपनी बलि चढ़ाता आतंकी हूँ
मैं हिन्दुस्थान का हिन्दू हूँ,मैं आतंकी हूँ.....

मैं सत्य अहिंसा के दर्शन को ,
जीने का आधार बनता 
बाबर अब्दाली के वंशज को भी,
मैं  अपने गले लगाता
नित नए नए अत्याचारों पर,
धैर्य दिखता,सहता जाता आतंकी हूँ..
मैं हिन्दुस्थान का हिन्दू हूँ,मैं आतंकी हूँ                                         

पर बहुत हो चुकी धैर्य परीक्षा, 
अब चन्दन अनल दिखायेगा.
भाई भाई के नारे को,
अब फिर से परखा जायेगा.
गर भाई हो कौरव जैसा, 
तो अर्जुन शस्त्र उठाएगा..

गाँधी का ये गाँधी दर्शन,
अब चक्र सुदर्शन लायेगा.
डंडे वाला बूढ़ा गाँधी ,
अब सावरकर बन जायेगा.
शत वर्षों से सहते आये,
अब और नहीं सहा जायेगा.
अब हिन्दुस्थान का हर हिन्दू,
राणा प्रताप बन जायेगा.  

तब बाबर की जेहादी सेना में,   
उथल पुथल हो जाएगी.
गुजरात की कुछ बीती यादें, 
फिर से दोहराई जाएँगी.
जौहर की बाते बीत गयी,
अब चंडी शस्त्र उठाएगी
गर हुआ जरुरी तो बहने,
प्रज्ञा ठाकुर बन जाएँगी.....

पर पांडव ने भी कौरव को,
अंतिम सन्देश सुनाया था.
खुद योगेश्वर ने जाकर भी,
दुर्योधन को समझाया था.                                            
तुम हिंसक आतातायी हो,
तुम कौरव हो पर भाई हो.
यदि जीना है तो जीने दो,
या मरने को तैयार रहो..
ये बात सभी को समझाता मैं आतंकी हूँ
मैं हिन्दुस्थान का हिन्दू हूँ,मैं  आतंकी हूँ.....


23 टिप्‍पणियां:

  1. भावपूर्ण भावान्वेषण,यथार्थपरक व जोशीली कविता !

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  2. नस नस में जोश भर दें...

    आशु भाई, साधुवाद.

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  3. सुंदर रचना और उतने ही गहरे जज्‍बात।

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  4. बहुत खूब आशु भाई

    संजय राणा

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  5. प्रिय बंधुवर
    आदरणीय आशुतोष जी

    सादर वंदेमातरम् ! सस्नेहाभिवादन !

    मैं हिन्दुस्थान का हिन्दू हूँ,मैं आतंकी हूँ
    मैं सर्व धर्म समभाव सिखाता ..
    मानवता की बात बताता,
    हर धर्मस्थल पर शीश नवाता,आतंकी हूँ...
    मैं हिन्दुस्थान का हिन्दू हूँ,मैं आतंकी हूँ...


    भाई , ऐसे आतंकियों की हिंदुस्थान में आवश्यकता है…

    वो धरा गोधरा की हो या,
    वो जनमभूमि हो राम की.
    हो मथुरा काशी की धरती,
    या सोमनाथ के धाम की..
    हर बार में अपनी बलि चढ़ाता आतंकी हूँ
    मैं हिन्दुस्थान का हिन्दू हूँ,मैं आतंकी हूँ.....

    शिराओं का रक्त उबलता प्रतीत हो रहा है …

    तब बाबर की जेहादी सेना में,
    उथल पुथल हो जाएगी.
    गुजरात की कुछ बीती यादें,
    फिर से दोहराई जाएँगी.
    जौहर की बाते बीत गयी,
    अब चंडी शस्त्र उठाएगी
    गर हुआ जरुरी तो बहने,
    प्रज्ञा ठाकुर बन जाएँगी.....

    आह! मन की गहराइयां में तरलता बढ़ा रही है आपकी रचना …


    आपने राष्ट्र्प्रेम से ओत-प्रोत इस रचना का सृजन करके न केवल मुझ जैसे कितने ही राष्ट्रभक्त-छंदसाधकों का हृदय जीत लिया … , वरन् भारत माता के प्रति एक उच्च उत्तरदायित्व का भी निर्वहन किया है …
    प्रशंसा के शब्दों की मोहताज नहीं हुआ करती ऐसी रचनाएं … क्योंकि कोई विरदावली ऐसी रचनाओं का आकलन नहीं कर सकती …

    बहुत बहुत शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं हैं …
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  6. साधुवाद, बहुत ही सुन्दर रचना। आज हिन्दुस्तान में हिन्दू होना ही अपराध होने जा रहा है (कम्प्युनल वॉयलेंस बिल), ऐसे में आपकी कविता और सार्थक हो जाती है।

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  7. आज से लगभग 8 बरस पूर्व गुजरात के अक्षरधाम मंदिर पर हुए हमले के तुरंत अगले दिन मैंने अपने मन के उद्गार "धर्मनिरपेक्षता के पाखंडी वाहक" नामक शीर्षक से लिखी कुछ पंक्तियों में व्यक्त किए थे। आज आपकी रचना से उसकी याद पुनः ताजा हो गई। मेरी उस रचना का लिंक है निम्न है- http://diwakarmani.blogspot.com/2007/11/blog-post_17.html

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  8. राष्ट्रवाद बिना हिंदुत्व अधूरा है और हिन्दू के बगैर ये भारतवर्ष कैसा जहां बार बार हिन्दूओं के धैर्य की परीक्षा ली जा रही है.
    सामयिक और सार्थक रचना.

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  9. आपकी कलम का तड़का-
    मानो अंग-अंग फड़का-
    ***
    जोश भरी इस रचना के लिए हार्दिक बधाई.

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  10. @ HUMAN ,विकाश जी,प्रतिक दीपक जी,दीपक बाबा,अतुल भाई राकेश जी,सुलभ जी,विवेक जी इ पंडित जी,दिवाकर भाई आप सभी का बहुत बहुत आभार
    राजेंद्र जी ब्लॉग पर समय देने और कविता के भाव समझने के लिए धन्यवाद्..
    जय श्री राम

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  11. शब्द ऐसे जिनसे लोगों की आँखे खुल जाये,

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  12. सार्थक और सामयिक प्रस्तुति, आभार.

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  13. "मित्र सत्य एवं उत्तेजना का मिश्रण" अतभुत एवं अतुलनीय

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  14. आपके लेख, लेखन और व्यक्तिगत मानस से मैं पूरी तरह सहमत हूँ . हमारा समाज कृत्घन है , एहसान फ़रमोश , मौका परस्त ही है
    100 पेर्सेंट सच लिखने के लिए सुक्रिया पर सच लिखने वाले एन कॉंग्रेस्सियो को संप्रदायिक नज़र आते है
    मेरे जैसे करोड़ों हिंदुस्तानियों का भी यही विचार है, कांग्रेस की सरकार ने मीडिया का ग़लत यूज़ किया है. गुजरात मे सिर्फ़ पोस्ट गोधरा की ही बात होती है, बाकी नही , क्यो ? मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति से किसी का भला नही होगा, ना तो हिंदुओं का , ना मुस्लिमस का और ना ही इंडिया का.
    सच तो ये है की कांग्रेस मुस्लिम प्रस्त है और ये वोट के लिए हिंदू सम्मान को बेच डालेंगे
    इस देश की छाती पर बैठ कर मूंग दलने वालों ने इस देश और उसकी अवाम को अपने बाप की जागीर समझ रखा है ! वे गरीब का खाना-पीना महँगा करेंगे....., आना-जाना महँगा करेंगे......., वाल मार्ट लायेंगे......., या अरबो-खरबों का घोटाला कर माल बनायेंगे.......उनकी मर्ज़ी...! बस अवाम ना बोले !! अवाम मुंह पर ताला लगा कर इन 'बेईमानों' के काले कारनामे पिछले सांठ वर्षों से जैसे देखती आ रही है,बस अभी भी देखती रहे......तो ये 'आधुनिक राजे-महाराजे' बहुत खुश !! 'सोशियल साईट्स ' पर जब अवाम का 'मन' खुल कर प्रकट होने लगा तो इन सफेदपोशों को नानी याद आने लगी है !इनकी पोल का ढोल जब कम्प्यूटरों के पर्दों पर चोबिसों घंटे सत्य बन कर बजने लगा तो 'बेईमान बहरों' के कानों के पर्दे फटने लगे !! कुत्ता,डंडे को देख कर काटने की अंतिम कोशिश ज़रूर करता है......लेकिन अंततः दुम दबा कर भागना ही उसकी नियति होती है !! फूल -मालाओं से हो कर गालियों-जूतों -थप्पड़ों तक पहुंचा लोकतंत्र आखिर किसकी देन है !? जिनको इस बात पर सोचना चाहिए,वे अवाम की जुबां पर ताला लगाने की जुगत में लगे हैं ! दोस्तों,इस देश के 'कुछ मूर्खों' को अक्ल की सख्त ज़रूरत है.....

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  15. ओज से भरपूर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें.

    अब देर नहीं है जब हम सब
    गाँधी से आजाद बने |
    रावण की चिता जलाने को
    हम राम बने हम राम बने |

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ये कृति कैसी लगी आप अपने बहुमूल्य विचार यहाँ लिखें ..