शनिवार, 26 मार्च 2011

कवि के शब्द

ये शब्द मेरे हैं अमर सदा,
ये शब्द नहीं मर सकतें हैं...
हर बार इन्ही शब्दों ने मुझे,
निज संजीवन से जिलाया है...
निष्प्राण सरीखी काया को,
फिर विजय कवच पहनाया है.......


हर बार इन्ही शब्दों ने मुझे प्रेरणा दी है....
इन रिश्तों के कोलाहल में,
अपने मन की कुछ कहने की
अपने मन की कुछ करने की….

इन शब्दों की जननी पीड़ा,
पीड़ा के उर से ये निकले..
ये शब्द मेरे प्रह्लाद सरीखे
हर अग्निपरीक्षा में हैं खरे…..

इन शब्दों की ही महिमा से,
मानवता का है कलुष धुला..
ये शब्द बन गए नीलकंठ,
मुझको पीड़ा का गरल पिला….


इस जलधि शब्द के ये प्रवाह
हर बार मुझे ये कहते हैं..
ये शब्द मेरे हैं अमर सदा,
ये शब्द नहीं मर सकतें हैं….

24 टिप्‍पणियां:

  1. सही है। शब्द में असीम शक्ति होती है।

    जवाब देंहटाएं
  2. @इन शब्दों की जननी पीड़ा,
    पीड़ा के उर से ये निकले..
    ये शब्द मेरे प्रह्लाद सरीखे
    हर अग्नि अग्निपरीक्षा में हैं खरे….

    बहुत गहन शब्दों के सहारे से आपने अपने विचारों को कविता के रूप में संजोया है.

    जवाब देंहटाएं
  3. सच कहा आपने।
    शब्‍द कभी मर नहीं सकते।
    शब्‍दों की शक्ति का चित्रण करती बेहतरीन रचना।
    शुभकामनाएं आपको।

    जवाब देंहटाएं
  4. हर बार इन्ही शब्दों ने मुझे प्रेरणा दी है....
    इन रिश्तों के कोलाहल में,
    अपने मन की कुछ कहने की
    अपने मन की कुछ करने की….
    बहुत ही बेहतरीन बातें बताई आपने..शब्‍द कभी मर नहीं सकते.....
    हार्दिक शुभकामनायें!

    जवाब देंहटाएं
  5. महाशय! अच्छा लिखते हैं आप|

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर रचना । शब्दों में बहुत ताकत होती है।

    जवाब देंहटाएं
  7. shabdon ki shakti ..ke bare me bahut achchha likha hai aapne...shabd chahe ur ki peeda se nikale ho ya aalhad se..inki shakti asimit hai...sunder rachana...

    जवाब देंहटाएं
  8. शब्‍द कभी मर नहीं सकते। गाँठ बाँधने योग्य बात वाह सारगर्भित रचना , आभार

    जवाब देंहटाएं
  9. सुन्दर रचना आशुतोष जी,......शब्दों की शक्ति असीम है .......किसी भी अन्य शस्त्र से ज्याद तीक्ष्ण व घातक शस्त्र है यह....हम सभी जानते हैं कि कितने ही साहित्यकारों ने अपनी लेखनी के बलबूते पर बड़ी-बड़ी क्रांतियों को जन्म दिया है .......बधाई

    जवाब देंहटाएं
  10. इस जलधि शब्द के ये प्रवाह
    हर बार मुझे ये कहते हैं..
    ये शब्द मेरे हैं अमर सदा,
    ये शब्द नहीं मर सकतें हैं….

    सच कहा है...बहुत खूबसूरत रचना...

    जवाब देंहटाएं
  11. धन्यवाद आप सभी का..
    आप सब के शब्दों की महिमा है हमेशा प्रेरणास्रोत है मेरे लिए..

    आभार

    जवाब देंहटाएं
  12. @ हर अग्नि अग्निपरीक्षा में हैं खरे
    इसको ठीक कर लें।

    जवाब देंहटाएं
  13. adbhut bhavnao ko jab sundar shabd milte to isi tarah ke saras kavya ubhar kar aate...... aashu ki kammal... i am impress.....

    जवाब देंहटाएं
  14. इस चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हमारा नव संवत्सर शुरू होता है. इस नव संवत्सर पर आप सभी को हार्दिक शुभ कामनाएं ……

    जवाब देंहटाएं
  15. आशुतोष जी ,
    शब्दों में बहुत ताकत होती है..सुन्दर रचना

    जवाब देंहटाएं
  16. इन रिश्तों के कोलाहल में,
    अपने मन की कुछ कहने की
    अपने मन की कुछ करने की….

    इन शब्दों की जननी पीड़ा,
    पीड़ा के उर से ये निकले..
    ये शब्द मेरे प्रह्लाद सरीखे
    हर अग्निपरीक्षा में हैं खरे…..

    शब्‍दों की शक्ति का चित्रण करती बहुत सुन्दर रचना, शब्‍द सत्य की सुन्दर अभिव्यक्ति. नव संवत्सर पर आप को हार्दिक शुभकामनाएं ……

    जवाब देंहटाएं
  17. ये शब्द मेरे हैं अमर सदा,
    बहुत सुंदर ..
    मेरे घर भी आयें
    http://abhishekinsight.blogspot.com/2011/03/blog-post_07.html

    जवाब देंहटाएं
  18. मगर विडम्बना यह है की इन सब के बाद भी एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी मे कार्यरत हूँ.इस विरोधाभास की सफाई में इतना ही कह सकता हूँ की भूखे पेट और बिना बंदूकों के कोई जंग नहीं जीती जाती..
    इन शब्दों की जननी पीड़ा,
    पीड़ा के उर से ये निकले..
    ये शब्द मेरे प्रह्लाद सरीखे
    हर अग्निपरीक्षा में हैं खरे…..
    आशुतोष जी हम जागरण मंच पर मिले और फिर करीब आते गए बहुत सुन्दर आप के विचार बहुत ही सुन्दर- भड़कने दो ये चिंगारी -जब तक हवन की खुशबू -जन जन के मन- जीवन में प्रविष्ट न हो जाये

    साधुवाद

    सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५

    जवाब देंहटाएं
  19. सुरेन्द्र जी..
    बहुत बहुत आभार..आशा है आप का सहयोग एवं उत्साहवर्धन भविष्य में मिलता रहेगा..
    धन्यवाद आप का

    जवाब देंहटाएं
  20. शाश्वत सत्य की सुन्दर अभिव्यक्ति ..

    जवाब देंहटाएं

ये कृति कैसी लगी आप अपने बहुमूल्य विचार यहाँ लिखें ..