शनिवार, 18 सितंबर 2010

राम मंदिर और कश्मीर





राम मंदिर:
पिछले कुछ दिनों से खबरिया चैनलों मे राम मंदिर का मुद्दा छाया हुआ है..कुछ अदालत अदालत की रट लगाये है तो कुछ लोग समझौता करने के लिये लगे हुए हैं..
एक सामान्य हिन्दू होने के कारण जो स्वाभाविक सी प्रतिक्रिया मेरी है की मंदिर वही बनना चाहिये.. राम हिन्दू आस्था के प्रतीक हैं...ठीक वैसे ही जैसे की मुह्हमद साहब मुस्लिम आस्था के...अब अगर मै यह सवाल उठाऊ की
मक्का मे मंदिर बनवानी चाहिये तो ये ब्यर्थ प्रलाप से ज्यादा कुछ नहीं....ठीक उसी तरह अयोध्या में बाबरी मस्जिद का औचित्य भी तो ब्यर्थ प्रलाप ही है...
अगर आज आप के घर मे कोई आ कर बाहुबल से आप की व्यवस्था को बदल देता है, तो क्या हम प्रतिरोध नहीं करते हैं... बाबर ने हमारे हिन्दुस्थान मे बाहुबल से अधिकार किया था...अपने बाहुबल से मंदिरों को तोड़ मस्जिद का रूप दे दिया ... तो क्या अब प्रतिरोध भी न करें ..........
मुझे या एक हिन्दू को किसी मस्जिद या चर्च से कोई प्रतिरोध नहीं है लकिन हमारे मंदिर की कीमत पर हमारे आस्था की कीमत पर स्वीकार नहीं..




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आज की तथाकथित सेकुलर मीडिया और तुस्टीकरण करने के लिये लालायित, कुछ लाल किले के दलाल,जो दुर्भाग्यवश संसद में पहुच गयें हैं, हर भगवा पहनने वाले को हिन्दू आतंकवादी का नाम दे देतें है... अगर राम का नाम लेना आतंकवाद है तो हम आतंकवादी है ...अगर हिन्दुस्थान मे हिन्दू होना आतंकवाद है तो ८५% लोग आतंकवादी है..
सेकुलर वो लोग है जो कश्मीर मे कत्ले आम कर रहें है..सेकुलर वो है जिन्होने कश्मीरी पंडितो को अपने ही देश मे भटकने के लिये मजबूर कर रखा है...सेकुलर वो भी है जो वोट बैंक के लिये कार सेवकों पर गोली चलवाते है...इन सबके बाद हिन्दू प्रतिरोध को आतंकवाद और अतिवाद का नाम दिया जाता है...
हमने कश्मीर मे हिन्दुस्थान का झंडा जलाने वालों के लिये special development package बना रखा है... और भगवा पहनने वाली साध्वी के लिये special torture जेल.....
अंत मे बस दो पंक्तिया कहनी ही काफी है हिन्दू जनमानस की भावनाओं के लिये...


अतिशय रगड़ करे जो कोई
अनल प्रकट चन्दन से होई.....

चलिये हम सब राम मंदिर के निर्माण के लिये सात्विक और आहिंसक तरीके से अपना हरसंभव योगदान दें...

जय श्री राम
जय हिन्दुस्थान ..


"आशुतोष नाथ तिवारी"

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