![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEga1bgivqlhm0JRwdlmQL9iX3yGWxY8pZ4o4fOgU19-S-XV93ueY5ktW2hicJLDO3Ah4YH8bWOHTb1sKnckoper1rioU6tokr7wvN2ER5qjBfDLw32aMtcU_G7J4vyubbXmGMQzNkWKkjIL/s320/3.jpg)
जाडे की सुनसान रात,हड्डियाँ गलाने वाली ठंढ
बर्फ सी वो सिहरन,
रात के सन्नाटे को चीरती हुए ट्रकों की आवाजे……..
इन सबके बीच मैने देखा एक छोटी सी लड़की.
अधफटे कपडे.चिथडो मे लिपटी…
कांपती ठिठुरती,अपने आप मे सिमटती,
वो छोटी से लड़की,सिसकती सिहरती|
फिर मैने देखा अपनी तरफ,
गरम कपडे ऊनी चद्दर,
सिर मे टोपी,पाव मे जूते.
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEht_SIvN3eeTxSFYL-fmd6unBesnZGMlLYMXNaauE4DcjiyqfZ3dBtzT6ucz1RW-VIolSUvFdRJ-Ag2s3K3cNvQ2yoRLhBKlt0c9NS9zL9IcOk4pcr1DjoKCHJ4m0uIC-yIOXRBje6G1RM_/s200/4.jpg)
सिर्फ एक कप काफी के लिए|
मैने सोचा ये अंतर क्यों है?
पूरी रात यही सोचता रहा|
सुबह मैने कुछ भीड़ इक्कठा देखी,
कुछ लोग इकठ्ठा थे किसी को घेरे हुए.
मैं भी गया देखकर आंखे फटी रह गई..
यही थी वो लड़की ठीठुरती सिहरती…
मगर अब नहीं थी, वो सिहरन,न ही थी वो ठिठुरन,
क्योंकि वह दूर जा चुकी थी,बहुत दूर दुनिया से परे|
पास पडे थे कुछ अधजले टायर के टुकडे|
लोगो ने फेक रखे थे कुछ सिक्के उसे जलाने के लिये..
मैने भी एक सिक्का उछाला उसकी लाश पे,
और कहा……
इससे ला दो कुछ कपडे.इसकी छोटी बहन के लिये..
कल ऐसा न हो हमे इकठ्ठा करने पडे कुछ सिक्के,
उसके भी कफ़न के लिये……………..
..
"आशुतोष नाथ तिवारी"
बहुमूल्य
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