बुधवार, 18 जुलाई 2012

हमराही



जीवन रूपी शांत सफर के राहों में.
एक दिन तुम मुझे यूँ मिल गयी,
जैसे फूलों को खुशबू, चाँद को चांदनी
मुझको मेरी कल्पना मिल गयी|

बहुत ढूंढा किया था,मैने तुझको अपने ख्वाबो में,
अचानक ही तू मेरे जीवन में बस गयी|
मुझे कुछ यूँ हुई अनुभूति तुम्हारे मिलन की..
जैसे मुझे समंदर में मोती वाली सीप,मिल गयी|

सोचा था बहुत कुछ कहना है तुझसे मिलने पर,
तुझे देखकर शब्दों की कमीं पड़ गयी..
अब तो तेरी आँखों को मैने आइना बना लिया,
शायद उसमे मुझे मेरी झलक मिल गयी|