क्या जंग लगी तलवारों में, जो इतने दुर्दिन सहते होI
राणा प्रताप के वंशज हो,क्यों कुल को कलंकित करते होII
आराध्य तुम्हारे राम-कृष्ण,जो कर्म की राह दिखाते थेI
जो दुश्मन हो आततायी, वो चक्र सुदर्शन उठाते थेI
श्री राम ने रावण को मारा, तुम गद्दारों से डरते होII
जब शस्त्रों से परहेज तुम्हे,तो राम राम क्यों जपते होIक्या जंग लगी तलवारों में,जो इतने दुर्दिन सहते होII
अंग्रेजों ने दौलत लूटी,मुगलों ने थी इज्जत लूटी I
दौलत लूटी, इज्जत लूटी, क्या खुद्दारी भी लूट लिया,
गिद्धों ने माँ को नोंच लिया,तुम शांति शांति को जपते होI
इस भगत सुभाष की धरती पर,क्यों नामर्दों से रहते हो?
क्या जंग लगी तलवारों में जो इतने दुर्दिन सहते होII हिन्दू हो,कुछ प्रतिकार करो,तुम भारत माँ के क्रंदन काI
यह समय नहीं है, शांति पाठ और गाँधी के अभिनन्दन काII
यह समय है शस्त्र उठाने का,गद्दारों को समझाने का,
शत्रु पक्ष की धरती पर,फिर शिव तांडव दिखलाने काII
इन जेहादी जयचंदों की घर में ही कब्र बनाने का,
यह समय है हर एक हिन्दू के,राणा प्रताप बन जाने काI
इस हिन्दुस्थान की धरती पर ,फिर भगवा ध्वज फहराने काII
ये नहीं शोभता है तुमको,जो कायर सी फरियाद करोI
छोड़ो अब ये प्रेमालिंगन,कुछ पौरुष की भी बात करोII
इस हिन्दुस्थान की धरती के,उस भगत सिंह को याद करो,
वो बन्दूको को बोते थे,तुम तलवारों से डरते होI
बहुत अच्छे भाव हैं.
जवाब देंहटाएंआशुतोष जी, लाजबाब
जवाब देंहटाएंvir ras se ot prot hai apki kavita....beautiful
जवाब देंहटाएंवह आशुतोष जी जबाब नहीं है आपका आप ने तो एक नया जोश ही बार दिया
जवाब देंहटाएंआशुतोष जी अपने वैभव और और गौरव को स्मरण कराने वाली इस रचना को हमारे साथ साझा करने हेतु आपका कोटिशः आभार!
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआप सभी राष्ट्रवादियों का प्रोत्साहन के लिए आभार..
जवाब देंहटाएं...................
कुछ पाकिस्तानी बेनामी अपशब्द टिपण्णी लिख कर जा रहे हैं...उनसे अनुरोध है की अगर इनका बाप पाकिस्तान का और माँ कमाठीपुरा की न हो तो अपनी पहचान बताएं..
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हमे हिन्दू होने पर सर्वदा गर्व है
nas nas men josh bhar gaya.pak ke chupe hue mullo ko kat ke pak bhej denge.
जवाब देंहटाएंअंग्रेजों ने दौलत लूटी,मुगलों ने थी इज्जत लूटी I
जवाब देंहटाएंदौलत लूटी, इज्जत लूटी, क्या खुद्दारी भी लूट लिया,
गिद्धों ने माँ को नोंच लिया,तुम शांति शांति को जपते होI
इस भगत सुभाष की धरती पर,क्यों नामर्दों से रहते हो?
क्या जंग लगी तलवारों में जो इतने दुर्दिन सहते होII
प्रिय आशुतोष जी जोश जगाते खून गरम करती हुयी रचना ...प्यारी ...अपने देश अपनी संस्कृति को जो ताक पर रखे देते हैं भ्रष्टाचारी आततायी वे कुत्ते बिल्ले से भी गए हैं ..जय श्री राधे
सुन्दर
भ्रमर ५
bahut hi umda rachna
जवाब देंहटाएंaapke bhav desh bhakti se orprot hai
जवाब देंहटाएंashutosh ji aisi hee logo ke andar desh bhakti ka jazba banate rahiye vande matram
जवाब देंहटाएंvery nice ashutosh ji vande matram
जवाब देंहटाएंBahut Badiya, Aapko Dhanyawaad...
जवाब देंहटाएंBahut badiya....
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