शुक्रवार, 21 दिसंबर 2012

कुछ ऐसा करो प्राची

क्या लिखूँ इस कविता के के बारे मे: कल रात को अमृत पीने के बाद अपने आँसू  दीपक बाबा की आँखों मे देखकर भावनाओं ने शब्दों का रूप ले लिया । "वियोगी होगा पहला कवि" सोचकर भावनाओं के जंगल से निकले इन  शब्द रूपी फूलों को प्राची की माला के रूप में गूंथ कर बाबा के चरणकमल में समर्पित करने का एक छोटा सा प्रयास  ..   

कुछ ऐसा करो प्राची  जिससे ये लगे कीइन रगों का खून रुका नहीं है।
काट दो इन नसों को,
निकाल दो इक इक कतरा मेरे लहू का,
थाम लो इन नब्जों को,
पहरे बिठा दो इन धडकनों पे,
कुछ ऐसा करो की
किसी भी रास्ते से तुम्हारी याद आ न सके। 
इन सांसो को तब तक रोक दो,
जब तक तुम्हारी खुशबू जा न सके॥
इन धडकनों को तब तक बंद रखो,
जब तक तुम्हारा एहसास भुला न सके। 
चाहे इसमे,
मेरी जान ही क्यों न चली जाए,
मेरे खून का कतरा कतरा मिट जाए,
चाहे ये नब्ज़ हमेशा के लिये रुक जाए॥ 
मगर कुछ कुछ ऐसा करो प्राची 

मै इंतजार करूँगा..
उस अस्तित्वविहीन भौतिक जीवन का,
बरसो सदियों या कई जन्मों,
मै इंतजार करूँगा
क्यूकि मुझे जीना है,
बिना तुम्हारे एहसास के.
सिर्फ अपनी धडकनों के साथ,
सिर्फ अपने ख्वाबो के साथ॥
ये मेरी मृगमरीचिका ही सही,
मगर कुछ ऐसा करो प्राची,
जिससे मुझे एहसास होमेरे अपने होने का..
कुछ ऐसा करो प्राची,
जिससे सिर्फ और सिर्फ मेरे ख्वाब और मेरी सांसे मेरे पास हो॥ 
तुम तो जानती थी न, की 
जमीर यूँ ही नहीं सुन्न होता ..
क्योंकि उसे पता होता है -
सुन्न होने की अगली स्थिति क्या होगी..
जानती हो न प्राची..                                            अंतिम पंक्तिया : (साभार) बाबा 

कुछ ऐसा करो प्राची॥ 

8 टिप्‍पणियां:

  1. बाबा को तो बहुत वक्त से पढ़ रहें है पर आज आपको पढ़ कर भी अच्छा लगा ....सादर

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    1. अनु जी हम तो बाबा के चरण रज है।।जो भी लिया उनसे ही लिया अब उनको समर्पित।।

      तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा।।।

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  2. समयोचित, स्‍टीक एवं सार्थक पोस्‍ट

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  3. समयोचित, स्‍टीक एवं सार्थक पोस्‍ट

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  4. Apni to mohabbat ki itni kahani hai,
    Tooti hui kashti or thera hua pani hai,
    Ek phool kitabon may dam tor chuka hai,
    Magar kuch yaad nahi aata yeh kis ki nishani hai…

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  5. बहुत ही मार्मिक काव्य सृजन

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ये कृति कैसी लगी आप अपने बहुमूल्य विचार यहाँ लिखें ..